
क्या सोचके आया था और देख क्या हो रहा है। जो सो गया था कभी वो इंसान जागृत हो रहा है। तेरे डर में तो हम है ही नही, मगर एक साथ तो हम है, क्या कर लेगा तू हमारा, क्या तुझमे उतना दम है। डराया होगा दुनिया को तूने पर भारत की बात ही कुछ और है, तू गलत समय पर आया है क्योंकि ये तो सक्षम नेतृत्व का दौर है। तूने सोचा होगा दूर हो जाएंगे तो तू हमे तोड़ेगा, पर भूल गया है तू की नेता हमारा, हमे एक साथ जोड़ेगा। देख तेरे डर से निकलकर वो आज क्या समा बना गया, कहा हर घर मे दीया जलाओ और खुद सबके दिलों में निडरता का दीया जला गया। अब तू क्या करेगा, की अब तुझे तेरी सच्ची जगह बतानी है, ऐसे ही आया था जग जीत कर एक योद्धा, उसकी कथा याद दिलानी है। मान ले बात मेरी की तू भी सिकंदर बन जायेगा, भारत की प्रजा के आगे जब पोरस जैसे मोदीजी को पायेगा....मोदीजी को पायेगा दीया जलाओ, डर भगाओ
काव्यरचनाकार - श्री अनिकेत घनश्याम भंकाळ